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अपनी ईमानदारी पर अटल हैं एसपी डॉ. यशवीर सिंह: सोशल मीडिया पर हो रही है पुलिस अधीक्षक के निष्पक्ष व पारदर्शी फैसले की सराहना

रायबरेली: गुरुवार 23 अक्टूबर 2025

जनपद में पहली बार किसी कप्तान ने विभाग के इंस्पेक्टर और सिपाहियों पर लगे गंभीर आरोपों के लिए अपनी ही पुलिस लाइन के सीसीटीवी कैमरे खंगलवा डाले। उसमें कुछ ऐसा मिला जिसके बाद एसओजी प्रभारी को हटाकर टीम के दो सिपाहियों को जनपदीय सीमा के अंतिम छोर वाले थानों पर भेजा गया। तीन लाख रुपए लेने का मामला गंभीर है, जिसकी जांच जारी है। इसकी पुष्टि और विभागीय दंड के प्रावधानों के तहत कुछ जरूरी प्रक्रिया का अनुपालन करना होता है, जिसे किया भी जा रहा है।

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एसओजी प्रभारी इस पोल के खुलने के बाद अपने साथियों से चौड़े सीने के साथ कह रहे थे कि “कुछ नहीं होगा, सब मैनेज हो गया, मेरा अधिकारी सब जानता है।” हालांकि उनके साथी इंस्पेक्टरों के गले से यह नीचे नहीं उतर रहा था कि “कुछ नहीं होगा”। इंस्पेक्टरों की आपसी चर्चा बस यही थी “साहब छोड़ेंगे तो नहीं”। अंतर समझिए भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा एक मुलाजिम अपने झूठ पर मदमस्त था क्योंकि उसे उम्मीद थी कि हर बार की तरह इस बार भी उसकी झूठी कहानी पर यकीन कर लिया जाएगा।

उसे सही मान लिया जाएगा। जबकि अन्य तमाम इंस्पेक्टरों को अपने कप्तान की ईमानदारी पर कोई शक नहीं था, और वह कार्रवाई तय मान रहे थे। मजबूत पकड़ रखने का दावा करने वाले एसओजी प्रभारी को पैदल करके पुलिस अधीक्षक ने साफ संदेश दे दिया है कि उनके कार्यकाल के दौरान “भ्रष्टाचार” और “भ्रष्ट” की कोई जगह नहीं है।

11 सितंबर 2024 को डॉ यशवीर सिंह ने जिले का कार्यभार संभाला था और तब से लेकर अब तक वह अपनी ईमानदारी वाले सूत्र पर अटल हैं। जनता को उम्मीद है कि विभागीय दंड के प्रावधानों के तहत निर्धारित मानकों का अनुपालन करते हुए इस बार इस विवादित इंस्पेक्टर को उनके कृत्य के अनुरूप उचित दंड मिलेगा, क्योंकि निवर्तमान एसपी के कार्यकाल के दौरान बछरावां में उनके द्वारा किए गए कृत्य के सापेक्ष इन्हें सजा नहीं मिल पाई थी और जांच में बचाने का पूरा प्रयास किया गया था। इस प्रकरण की सबसे बड़ी कमी यह थी कि मृतका के पारिवारिक जनों ने भी आवाज नहीं उठाई थी।

मृतका के भाई और पिता को बछरावां थाने से मनमाफिक तहरीर लेकर बिना शव का अंतिम संस्कार हुए ही वापस कर दिया गया था। आज पूरे पुलिस विभाग के साथ-साथ न्याय प्राप्त कर चुके सैकड़ो लोगों में इस बात की चर्चा आम हो चुकी है कि “कुछ भी हो कप्तान ईमानदार हैं।” बतौर पत्रकार अपेक्षा तो मैं भी करता हूं कि खाकी की छवि धूमिल करने वालों का जब भी कहीं भी कोई तथ्य परक समाचार प्रकाशित हो तो आप उसकी निष्पक्षता जरूर टटोल लेंगे।

अनुज अवस्थी

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