भारत के परमाणु विज्ञान क्षेत्र की एक महान हस्ती, डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन अब हमारे बीच नहीं रहे। 20 मई 2025 को उनका निधन हो गया। विज्ञान, तकनीक और राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान इतना विशाल है कि उनका जाना केवल एक वैज्ञानिक का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।

कौन थे एम. आर. श्रीनिवासन?
मदन रामकृष्ण श्रीनिवासन भारत के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों में से एक थे।
- उन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वे 1987 से 1990 तक परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission) के अध्यक्ष रहे।
- उन्हें भारतीय परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के डिज़ाइन, स्थापना और क्रियान्वयन का जनक माना जाता है।
परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान
डॉ. श्रीनिवासन का योगदान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं था, उन्होंने राष्ट्रीय रणनीति और नीति निर्माण में भी भागीदारी की।
- भारत के PHWR (Pressurized Heavy Water Reactor) डिज़ाइन में उनका विशेष योगदान रहा।
- उन्होंने भारत के स्वदेशी परमाणु रिएक्टरों के विकास की नींव रखी।
- देश में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को सशक्त करने के लिए उन्होंने तकनीकी मार्गदर्शन दिया।
सम्मान और पुरस्कार
उनके योगदानों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया:
- पद्म भूषण (1990)
- भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (INSA) के फेलो
- भाभा पुरस्कार, और कई अन्य तकनीकी संस्थानों से आजीवन उपलब्धि पुरस्कार।
दृष्टिकोण और विचार
डॉ. श्रीनिवासन वैज्ञानिक होने के साथ-साथ एक दूरदर्शी विचारक भी थे।
- उन्होंने हमेशा स्वदेशी तकनीक और नवाचार पर जोर दिया।
- वे मानते थे कि “भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए विज्ञान और तकनीक को जनसेवा से जोड़ना होगा।”
निधन पर शोक की लहर
डॉ. श्रीनिवासन के निधन की खबर आते ही वैज्ञानिक समुदाय, सरकार और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई।
- प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, और विज्ञान जगत की प्रमुख हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
- सोशल मीडिया पर #MRSrinivasan ट्रेंड करने लगा, और लोग उन्हें “परमाणु ऊर्जा के पिता” के रूप में याद कर रहे हैं।
निष्कर्ष: एक युग का अंत, लेकिन प्रेरणा अमर
डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, योगदान और वैज्ञानिक सोच भारत की अगली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। उन्होंने जो बीज बोया था, वह आज भारत को विश्व शक्ति बनने की ओर ले जा रहा है।
🔖 श्रद्धांजलि
भारत विज्ञान के इस सपूत को शत-शत नमन।