नई दिल्ली: 23 सितंबर 2025
घासीराम वर्मा राजस्थान के झुंझुनू जिले के सीगड़ी गांव के एक ऐसे शख्स जो गरीबी में पढ़े, मित्रों के सहयोग से, मां का जमा किया हुआ घी, बाप के पाले हुए पशु बेचकर फीस जमा कराते हुए।
अमेरिका में प्रोफेसर हुए, सारी तनख्वाह गरीब और जरूतमंदों के लिए भारत में लगा दी। करोड़पति हुए परंतु रहे फकीर के फकीर।
प्रशंसा और प्रचार से कतई मोह नहीं, राज्यसभा में जाने का प्रस्ताव तक मिला, ठुकरा दिया…पद्मश्री के लिए आवेदन मांगा गया, आवेदन तक नहीं किया…आज नब्बे वर्ष से ऊपर हैं, परंतु अब भी अमेरिका में अतिथि प्रोफेसर की हैसियत से काम करते हैं, कमाते हैं और भारत आकर सारा खर्च कर जाते हैं।
इस हद तक कि वापसी की टिकट के लिए पैसा तक नहीं बचता। मित्रों से किराया उधार मांगकर फिर जाते हैं और पुन: आकर फिर लगा जाते हैं, खासकर बालिका शिक्षा के लिए। अब तक नौ करोड़ रुपये से अधिक का वेतन समाज सेवा को समर्पित कर चुके हैं।
न्यूज़ डेस्क




