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आगरा कमिश्नरेट पुलिस लाइन के पीछे बनी झोपड़पट्टी में क्या बांग्लादेशी/रोहिंग्या रह रहे हैं?

आगरा: रविवार 7 दिसंबर 2025

आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके बांग्लादेशी और म्यांमार से आए रोहिंग्या घुसपैठियों को चिह्नित करने के लिए यूपी सरकार के आदेश के बाद काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है। हर जिले में टीमें बना दी गई हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद यूपी के सभी जिलों में रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के साथ अवैध प्रवासियों की तलाश हो रही है। इनकी तलाश के लिए टीमों का गठन भी किया गया है। पश्चिमी यूपी में इसे लेकर खास तेजी है। सत्यापन सेल को लगाया गया है।

आगरा कमिश्नरेट पुलिस भी पूरी सतर्कता बरत रही है। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि करीब 27 बांग्लादेशी जेल में सजा काट रहे हैं। उन्हें पूर्व में पकड़ा गया था। अगले महीने सभी की सजा पूरी हो रही है। जेल से बाहर आते ही पुलिस उन्हें अपनी अभिरक्षा में लेगी। सभी को वापस भेजा जाएगा। पुलिस ने ताजगंज, सदर, सिकंदरा, जगदीशपुरा आदि इलाकों में गोपनीय रूप से जांच कराई थी। जहां भी कबाड़ का काम होता है वहां पूछताछ की गई। करीब 250 लोगों को शक के घेरे में लिया गया। लगभग सभी अपने आप को मूलत: पश्चिमी बंगाल का बता रहे हैं। सभी का पुलिस सत्यापन कराया जा रहा है। सभी को हिदायत दी है वे शहर छोड़कर नहीं जाएंगे। सर्विलांस से उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

नगर निगम में आउटसोर्स और संविदा कर्मियों का सत्यापन कराया जा रहा है। एलआईयू सक्रिय है। डीसीपी सिटी को इसके निर्देश दिए गए हैं। अभी तक सभी कर्मचारियों का रिकार्ड नहीं मिला है। पुलिस सत्यापन में किसी के खिलाफ साक्ष्य मिलेंगे तो उसके खिलाफ मुकदमा लिखा जाएगा। सीधे वापस नहीं भेजा जाएगा।

एक ओर जहां पुलिस पूरी सतर्कता के साथ सघन जांच कर रही है, वहीं कुछ इलाके पुलिस की नजरों से दूर हैं। पंचकुइया चौराहे से सदर तहसील के सामने और पुलिस लाइन के पीछे सरकारी जमीन पर बनी झोपड़ पट्टीयों में आज भी कई परिवार बरसों से डेरा डाले हुए हैं, ये कौन हैं, कहां से आए हैं, ये रोहिंग्या है अथवा बांग्लादेशी हैं, इनकी जानकारी शायद पुलिस को नहीं है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इनकी गतिविधियां संदिग्ध है और ये आगरा के लिए खतरा हो सकते हैं, जिसकी जांच होना जरूरी है। ये महत्वपूर्ण इलाका है, पास में पुलिस लाइन है, सामने सदर तहसील है, और आगे पुलिस कमिश्नर का कार्यालय है। हर दिन यहां से प्रशासनिक अधिकारियों का आवागमन होता है, लेकिन पुलिस की नजर से ये बचे हुए हैं। स्थानीय नागरिक इनसे भयभीत रहते हैं, उनका पुलिस प्रशासन से अनुरोध है कि इनकी जांच होनी चाहिए, पता लगाना चाहिए आखिर ये कौन लोग हैं जो बरसों से यहां रह रहे हैं।

विशेष संवाददाता

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