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पर्यटन के नाम पर सौ साल पुराने पेड़, दुर्लभ प्रजातियों का बसेरा: नष्ट कर रहा है एडीए

आगरा, 23 सितम्बर 2025

ताजमहल और आगरा किले के बीच स्थित 90 एकड़ का ऐतिहासिक शाहजहाँ पार्क गंभीर संकट से जूझ रहा है। आगरा विकास प्राधिकरण (ADA) द्वारा “संस्कृति वन” नामक परियोजना के तहत इस हरे-भरे क्षेत्र में कंक्रीट संरचनाएँ, कियोस्क और पक्के रास्ते बनाए जा रहे हैं।

यह कार्य सुप्रीम कोर्ट और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दिशा-निर्देशों का खुला उल्लंघन है, जिसके तहत ताजमहल के 500 मीटर दायरे में किसी भी प्रकार का नया निर्माण प्रतिबंधित है।रिवर कनेक्ट कैंपेन के प्रतिनिधिमंडल ने मंडलायुक्त एवं ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) प्राधिकरण के चेयरमैन को ज्ञापन सौंपकर इस निर्माण को तत्काल रोकने की मांग की है। ज्ञापन सौंपने के बाद फ़िलहाल निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई है।

पर्यावरणविद डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य के अनुसार शाहजहाँ पार्क ताजमहल और आगरा किले के बीच पर्यावरणीय ढाल (ग्रीन बफर) का काम करता है। यह इलाका न केवल ताज की दृश्यात्मक अखंडता की रक्षा करता है बल्कि आगरा की जैव विविधता का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। इस पर कंक्रीट थोपना सीधा-सीधा गैरकानूनी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है।

कैंपेन के संयोजक बृज खंडेलवाल ने बताया यह पार्क ताजमहल का प्राकृतिक कवच है। सौ साल पुराने पेड़ों की छाँव, दुर्लभ प्रजातियों का बसेरा और हरियाली को नष्ट कर पर्यटन के नाम पर ठेकेदारों के हाथों सौंपना आगरा की साँसें छीनने जैसा है। पहले मेट्रो परियोजना ने पार्क का बड़ा हिस्सा बर्बाद किया, अब बचे हुए क्षेत्र को भी लालच की भेंट चढ़ाया जा रहा है।

जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. मुकुल पांड्या ने तीखी टिप्पणी की है, ‘संस्कृति वन’ नाम सिर्फ़ छलावा है, विकास के नाम पर पैसे की बरबादी है। नकली स्मारक, कियोस्क और पक्के रास्ते न तो संस्कृति को बचा सकते हैं और न ही पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। यह प्रोजेक्ट विकास नहीं बल्कि पर्यावण का विनाश है।

शाहजहाँ पार्क आगरा का एकमात्र बड़ा हरा-भरा क्षेत्र है। यहाँ सैकड़ों प्राचीन वृक्ष हैं—कुछ ब्रिटिश काल के, कुछ बाद में बागवानी विभाग द्वारा लगाए गए, और कई 50 से 100 वर्ष पुराने पेड़ जो शहर को ऑक्सीजन और पारिस्थितिक संतुलन प्रदान करते हैं। यह क्षेत्र पक्षियों, तितलियों और परागणकों का सुरक्षित आवास रहा है।पार्क ताजमहल के लिए एक प्राकृतिक फिल्टर की भूमिका निभाता है, जो धूल, प्रदूषण और शोर को कम करता है। यह “ग्रीन बफर” ताज की सुंदरता और पर्यावरणीय सुरक्षा दोनों के लिए अनिवार्य है।


कैंपेन ने यह भी याद दिलाया कि इससे पहले मेट्रो परियोजना ने पार्क का बड़ा हिस्सा उजाड़ दिया था। वहाँ आज एक बंजर पार्किंग लॉट है, जहाँ कभी पेड़ों की छाँव और हरियाली थी। पेड़ काटे गए और दूसरी जगह लगाने का दावा किया गया, लेकिन अधिकांश पौधे सूखकर मर गए। नतीजा यह हुआ कि शहर का तापमान बढ़ा और प्रदूषण कम होने के बजाय और बढ़ गया।
इसी तरह 2003 का विवादित ताज हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट भी लालच और अनियोजित विकास की वजह से शर्मनाक रूप से विफल हुआ, जिसने यमुना के प्राकृतिक किनारों को नष्ट किया। रिवर कनेक्ट कैंपेन का कहना है कि “संस्कृति वन” उसी तरह का एक और पर्यावरण विरोधी प्रयोग है, जिसे आगरा के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे।


रिवर कनेक्ट कैंपेन के ज्ञापन में रखी गई हैं निम्न शर्तें:
1. शाहजहाँ पार्क में किसी भी नए निर्माण से पहले वैध अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) और उच्चस्तरीय अनुमति अनिवार्य की जाए।
2. चल रहे सभी कार्यों की स्वतंत्र जाँच कराई जाए।
3. कंक्रीट निर्माण और पेड़ काटने पर तुरंत रोक लगाई जाए।
4. ताजमहल और किले के बीच के इस ऐतिहासिक पार्क को एक ग्रीन ज़ोन घोषित किया जाए और इसे स्थायी सुरक्षा प्रदान की जाए।
शाहजहाँ पार्क सिर्फ़ ज़मीन का टुकड़ा नहीं है। यह ताजमहल का प्राकृतिक कवच है, आगरा की हरियाली का अंतिम बड़ा गढ़ है और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर है। इसे किसी भी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाएगा।


इस बीच रिवर कनेक्ट कैंपेन के एक्टिविस्ट जगन प्रसाद तेहरिया ने आगरा पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन देकर हरियाली के कातिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है। ताज गंज पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

रिवर कनेक्ट कैंपेन की आगरा के नागरिकों, पर्यावरणविदों और हेरिटेज प्रेमियों से अपील है कि वे इस संघर्ष में साथ आएँ और इस हरित पट्टी को बचाएं।

न्यूज़ डेस्क

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