मजीठिया बेज बोर्ड वाद का तत्परता से हो निस्तारण श्रमायुक्त की हठधर्मी बर्दाश्त के बाहर
आगरा- 9 अगस्त 2025
पत्रकारों के संगठन ताज प्रेस क्लब ने बेज बोर्ड आयोग से संबधित वादों के निस्तारण में लापरवाही पर आक्रोश व्यक्त किया है। क्लब के अध्यक्ष सुनयन शर्मा ने कहा है कि श्रमायुक्त कार्यालय की उदासीनता अब सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर वाद उन साक्ष्यों को प्रस्तुत न किये जा सकने के कारण लंवित है, जो कि श्रम विभाग से संबधित है या फिर सेवायोजकों (समाचार पत्र प्रकाशक प्रतिष्ठानों) के पास हैं।

उपरोक्त के संबध में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन व श्रमजीवी पत्रकार संगठन के प्रतिनिधियों ने उपश्रमायुक्त आगरा को दो ज्ञापन सौंपे। पहले ज्ञापन में पीठासीन अधिकारियों व श्रम विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन वादों का तेजी से निस्तारण हो, साथ ही वादियों को साक्ष्य उपलब्ध करवाये जाएं। जबकि दूसरा ज्ञापन उन साक्ष्यों के संबध में है, जो कि श्रम आयुक्त और उनके अधीनस्थानों के नियंत्रण में है। उनमें 2011 से अब तक जारी हुए शासनादेश, सर्कुलर और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत शासन की त्रिपक्षीय कमेटी के मीटिंग मिनिट्स (कार्यबृत ) भी शामिल हैं।
तथ्यपरक जानकारियां लाया जाना आवश्यक
वादी पत्रकारों ने श्रमायुक्त से कहा है कि उ. प्र. से प्रकाशित समाचार पत्रों के प्रकाशक प्रतिष्ठानों की मजीठिया बेज बोर्ड के परिप्रेक्ष्य में निर्धारित मानकों के अनुसार श्रेणी निर्धारित कर श्रमायुक्त के पोर्टल पर उपयुक्त साफ्टवेयर पर डाउन लोड कर उपलब्ध करवायें। श्रमजीवी पत्रकारों का कहना है कि इस संबध में श्रम आयुक्त संगठन के तहत कार्यरत निरीक्षक विधिक प्राविधानों के तहत सक्षम हैं और उन्हें वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट (Working Journalists and other Newspaper Employees] (Conditions of Service) and Miscellaneous Provisions Act, 1955) के सैक्शन (Section ) 17 A. सैक्शन (2) के सब सैक्शन (a), (b), (c), (d) के तहत व्यापक अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी लापरवाही बरती जा रही है।
मणिसाना के रिनोटिफिकेशन के प्रति उदासीनता
पत्रकारों ने कहा है कि श्रमायुक्त मजीठिया बेज बोर्ड की तरह ही मणिसाना बेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करवाये जाने के लिये भी आधिकारिक नोडल निकाय हैं। श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 2020 में मणिसाना बेज बोर्ड सिफारिशों को पुन: जारी हो जाने के बावजूद, उ.प्र. श्रम विभाग और श्रमायुक्त इसे लागू करवाने की कोई कार्यवाही शुरू नहीं करवा सके हैं।
श्रम वादों में पत्रकारों के पक्षकार अवध बिहारी बाजपेयी एडवोकेट ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि श्रम विभाग के अधिकारियों के समक्ष तथ्यपरक जानकारियां लाये जाने का भले ही प्रत्यक्ष असर नहीं दिखे, किंतु यह सर्वथा नैतिक व कानूनी पक्ष को बल देने वाला कार्य है।
त्रिस्तरीय कमेटी के समक्ष उठायेंगे सवाल
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के दल के नेतृत्वकर्ता दैनिक जागरण के पूर्व वरिष्ठ पत्रकार एवं क्लब अध्यक्ष सुनयन शर्मा ने कहा है कि उपश्रमायुक्त को दिये ज्ञापन की प्रति प्रदेश के श्रमायुक्त तथा मजीठिया बेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करवाये जाने के लिये बनी त्रिस्तरीय कमेटी को भी प्रेषित करेंगे। उन्होंने कहा कि दस दस साल से मजीठिया वाद विचाराधीन हैं, किंतु फिर भी निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। अब पत्रकार चुप नहीं बैठेंगे, सरकार के सामने श्रमायुक्त कार्यालय की लापरवाही का पटापेक्ष करके रहेंगे, चाहे उन्हें इसके लिए कोई भी आंदोलन करना पड़े।

उपश्रमायुक्त कार्यालय पर ज्ञापन देने वाले पत्रकारों के संगठन में प्रेस क्लब अध्यक्ष सुनयन शर्मा, पूर्व अध्यक्ष राजीव सक्सेना, कुलदीप त्यागी, असलम सलीमी , अनिल सारास्वत, सचिव यतीश लवानियां, आदि पत्रकार थे।






