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हमें जरूर सोचना चाहिए यदि संघ न होता तो क्या होता? राष्ट्रनिर्माण पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले

आगरा: शनिवार 15 नवम्बर 2025

संस्कृति भवन, ललित कला संस्थान, आगरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शुक्रवार को महत्वपूर्ण जन गोष्ठी का आयोजन हुआ। जन गोष्ठी में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने मुख्य वक्ता के रूप में सभागार को सम्बोधित किया।

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की राष्ट्रभक्ति, उनके चिंतन और संघ के सौ वर्ष की सेवा, संगठन एवं समाज-निर्माण यात्रा को केंद्र में रखते हुए कहा कि यह उत्सव संगठन का नहीं, बल्कि समाज की एकता, आत्मविश्वास और राष्ट्रप्रेम का उत्सव है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यों के शताब्दी वर्ष के अवसर पर समूचे भारत में प्रमुख जन गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।

इसी क्रम में आगरा में संघ द्वारा समाज की एकता, आत्मविश्वास और राष्ट्रनिर्माण पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने शुक्रवार को यहां आरएसएस की सौ वर्ष की उपलब्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा हमें जरूर सोचना चाहिए यदि संघ न होता तो क्या होता? यह गंभीर चिंतन का विषय है।

श्री होसबले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्षों की सेवा एवं समर्पण यात्रा के अवसर पर संस्कृति भवन, ललित कला संस्थान स्थित सभागार में आयोजित प्रमुख जन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संघ ने क्या किया, इसकी चर्चा करते हुए उन्होंने कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक, अयोध्या के राम मंदिर, तथा अमरनाथ यात्रा प्रबंधन जैसे उदाहरणों का उल्लेख कर संघ के दीर्घकालिक सामाजिक योगदान को रेखांकित किया।उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कहते कि विवेकानंद स्मारक, अयोध्या का राम मंदिर और अमरनाथ यात्रा प्रबंधन जैसे काम संघ ने किये। ये सारे काम समाज ने ही किये, लेकिन इन जैसे तमाम कामों में अगुवा संघ के स्वयंसेवक ही रहे।

संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि सन् 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा आरम्भ किए गए संघ के कार्यों का उद्देश्य समाज को संगठित कर एक चारित्र्य सम्पन्न, सशक्त और वैभवशाली राष्ट्र का निर्माण करना रहा है। शताब्दी वर्ष इसी संकल्प, संस्कार और सामाजिक शक्ति का स्मरण है। गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए दत्तात्रेय होसबले कहा कि संघ को समझना है तो सबसे पहले डॉ. हेडगेवार की देशभक्ति और समर्पण को याद करना होगा। वे क्रांतिकारी थे, पर उनका विचार था कि स्वतंत्रता के बाद समाज को कौन-सी दिशा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष संघ का उत्सव नहीं, बल्कि यह समाज की एकता और आत्मविश्वास का प्रतीक है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि राष्ट्रप्रेम की भावना समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।

सरकार्यवाह ने कहा कि व्यक्ति निर्माण ही राष्ट्र निर्माण का आधार है और समाज के सभी वर्गों की सहभागिता से ही भारत विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र सेवा में बलिदान देने वालों में सेना, पुलिस के बाद संघ स्वयंसेवकों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।

दो चरणों में आयोजित की गई गोष्ठी के पहले चरण में सरकार्यवाह होसबले का सम्बोधन हुआ जिसके बाद दूसरे सत्र में प्रश्नोत्तर संपन्न हुए। सरकार्यवाह ने उपस्थित लोगों के प्रश्नों के उत्तर दिए। इस दौरान भी उन्होंने हिंदुओं की एकजुटता, जनसंख्या नियंत्रण, समान नागरिक संहिता समेत अन्य ज्वलंत विषयों पर संघ का दृष्टिकोण स्पष्ट किया।गोष्ठी में आगरा महानगर के अनेक प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे, जिनमें, प्रमुख व्यवसायी, शिक्षाविद्, चिकित्सक, अधिवक्ता, पत्रकार, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक, साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता, खेल जगत से जुड़े प्रतिनिधि, मातृशक्ति और विभिन्न क्षेत्रों के प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों में राजकुमार मटाले, अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख, जगदीश, अखिल भारती शारीरिक शिक्षण प्रमुख महेन्द्र, क्षेत्र प्रचारक अजीत महापात्र, अखिल भारतीय गौ संयोजक संस्कार भारती से बांके लाल तथा प्रांत और क्षेत्र के अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सुनील दीक्षित एवं प्रमोद चौहान द्वारा किया गया।

गोष्ठी में संघ द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे सामाजिक, शैक्षणिक, सेवा एवं राष्ट्रीय जागरण कार्यों की विस्तृत जानकारी भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम का प्रारंभ वंदेमातरम और समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

विशेष संवाददाता

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