नई दिल्ली: गुरुवार 25 सितंबर 2025
लेह (लद्दाख) में 35 दिन से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन में अचानक बुधवार को हिंसा होना भारत के लिए खतरे का संकेत है। भारत में आंतरिक सुरक्षा को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। हाल ही में नेपाल में हुए Gen-z के हिंसक आंदोलन के बाद भारत में कुछ विपक्षी नेताओं ने बयान दिए थे कि, भारत में भी अब ऐसे आंदोलन खड़े हो सकते हैं। इन बयानों को भी अराजक तत्वों द्वारा हिंसा के लिए प्रेरक के रूप में देखा जा रहा है।

लेह में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 35 दिनों से चल रहे शांति पूर्ण विरोध प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के साथ ही बड़े पैमाने पर झड़पें हुईं। भूख हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में सैकड़ों लोगों की पुलिस से झड़प हुई, जिसके बाद तोड़फोड़ भी हुई। इस दौरान लेह स्थित भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई।

लद्दाख एपेक्स बॉडी द्वारा आयोजित यह विरोध प्रदर्शन अधिक स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व की मांग को लेकर है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि 2019 में बिना विधानसभा के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन जाने के बाद से उनके पास एक भी जनप्रतिनिधि नहीं है “जो उनके काम और क्षेत्र की बेहतरी के लिए काम कर सके।” लद्दाख एक संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्र है, जिसकी सीमा चीन और पाकिस्तान दोनों से लगती है।
प्रदर्शनकारी नेताओं और गृह मंत्रालय के बीच अक्टूबर में बातचीत होनी है। पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए चल रहे आंदोलन के हिंसक होने पर कहा, “यह मेरे जीवन के सबसे दुखद दिनों में से एक है।” इसके बाद हुई हिंसा में भाजपा कार्यालय जला दिया गया, पुलिस वैन पर हमला किया गया, कथित तौर पर गोलीबारी में कम से कम चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 22 पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 59 लोग घायल हो गए।

लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में सुरक्षा की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन में प्रदर्शनकारी बुधवार को हिंसक हो गए। यह झड़पें केंद्र और लेह शीर्ष निकाय के बीच चार महीने के बाद 6 अक्टूबर को होने वाली वार्ता से कुछ दिन पहले हुईं। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार सोनम वांगचुक को वार्ता में शामिल नहीं करना चाहती थी, क्योंकि वह उन्हें वार्ता में बाधा मानते थे।
गृह मंत्रालय के अनुसार, “24 सितंबर को सुबह लगभग 11.30 बजे, सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों से उकसाई गई भीड़ भूख हड़ताल स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय के साथ-साथ लेह में मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईसी) के सरकारी कार्यालय पर हमला किया।” युवाओं के समूहों ने वाहनों में आग लगा दी और भाजपा मुख्यालय तथा हिल काउंसिल कार्यालय पर हमला किया।

अधिकारियों ने बताया कि शहर भर में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। सरकार का दावा है कि उन्होंने सुरक्षा बलों पर भी हमला किया, एक पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त किया और 30 से अधिक पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों को घायल कर दिया। हिंसा जारी रही और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। बयान में आगे कहा गया है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में कार्रवाई करते हुए गोलीबारी की, जिससे 4 लोगों की मृत्यु हुई। हिंसा के तुरंत बाद, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी, जो लद्दाख की मांगों के समर्थन में 35वें दिन में प्रवेश कर गई थी।
लेह प्रशासन ने अब सुरक्षा उपाय के रूप में चार से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। शांतिपूर्ण आंदोलन के चलते युवाओं द्वारा अचानक हिंसा को भड़काने को लेकर कुछ लोग इसे नेपाल में हुए Gen-z के हिंसक आंदोलन से प्रेरित मानते हैं। इस शांतिपूर्ण आंदोलन में अचानक हिंसा भड़काने के पीछे किसका हाथ हो सकता है, यह जांच का विषय है।
न्यूज़ डेस्क




