नई दिल्ली: शनिवार 4 अक्टूबर 2025
वैदिक ग्रंथ हों या भगवद्गीता, इनमें ज्ञान का भंडार भरा हुआ है। जरूरत है इन्हें पढ़ने की और समझने की। जिन लोगों ने इसे नहीं पढ़ा है वही टीवी चैनलों में राजनीतिक चर्चा में वैदिक धर्म और गीता का ज्ञान बांट रहे हैं।

इन ग्रंथों का महत्व केवल भारत में रहने वाले सनातनियों तक ही सीमित नहीं है, समूचे विश्व के लिए इनमें एक जीवन शैली है, जिसे समझना और उसका अनुसरण करना ही विश्व शांति का संदेश दे सकता है।

इस साल का सबसे दिलचस्प पद्मश्री पुरस्कार ब्राज़ील के जोनास मसेट्टी को मिला है, जिन्हें वेदों और भगवद् गीता के ज्ञान को दुनिया भर में फैलाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

ज़रा उन्हें देखिए—नंगे पांव, रुद्राक्ष पहने, साधुओं जैसे वेश में… कभी मैकेनिकल इंजीनियर रहे, अब भारतीय अध्यात्म से गहराई से प्रभावित हैं।
राष्ट्रपति भवन में जोनास मसेट्टी को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया। पद्मश्री पुरस्कार पाना वो भी वेदों की धरती भारत में, कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और वो भी ब्राज़ील से आए एक विदेशी होने के नाते। ध्यान दें, उन्होंने चप्पल नहीं पहनी है और उनकी चोटी है।
न्यूज़ डेस्क






