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गूगल पर दवा सर्च कर किया इलाज: छात्र सीजोफ्रेनिया बीमारी से एक साल से परेशान था: छात्र का मृत शव देखकर दादी गश खाकर गिर गईं

कानपुर: शुक्रवार 31 अक्टूबर 2025

कानपुर में इकलौते बेटे की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। पोस्टमार्टम हाउस के बाद पिता आलोक मिश्रा व अन्य परिजन शव लेकर घर पहुंचे तो मां का रो-रोकर हाल बेहाल रहा। वहीं, पुलिस की जांच में पता चला है कि लड़के ने अपनी बीमारी के बारे में 60-65 बार गूगल पर सर्च किया।

कोहना थाना प्रभारी विनय तिवारी ने बताया कि जांच में पता चला है कि छात्र सीजोफ्रेनिया बीमारी से एक साल से परेशान था। इसके लिए परिजनों को बिना बताए वह लक्षण के अनुसार, गूगल में बीमारी सर्च कर जानकारी जुटाता रहा। उन्होंने बताया कि एक साल से करीब उसने 60-65 बार गूगल में बीमारी को सर्च किया है। बताया कि मामले की और गहनता से जांच की जा रही है।

परिजन शव लेकर घर पहुंचे तो कफन में अपने लाल का शव देख मां दिव्या और बहन मान्या चीख पड़ीं। बिलखती मां बोली अरे हम क्यों चले गए थे तुमको अकेले छोड़कर, इतना बड़ा कदम उठा लिया… लौट आओ। हम किसके सहारे जिएंगे। वहीं, दादी नीलम मिश्रा को भी कई महिलाएं संभालकर दिलासा देती रहीं। यहां 15 मिनट तक शव रोका गया। इसके बाद परिजन शव लेकर भैरों घाट चले गए।

कक्षा 11 के छात्र की मौत की जानकारी जैसे ही परिजनों, रिश्तेदारों और इलाके के लोगों को हुई तो वह लोग सन्न रह गए। घर में महिलाएं एक दूसरे को सांत्वना देती नजर आईं। सदमे से पिता आलोक मिश्रा बदहवास हो गए। बार-बार बेटे का नाम बुदबुदाते रहे। बेटे के मौत के सदमे ने उन्हें इतना झकझोर दिया कि उनके आंसू सूख गए। वहीं, कल्याणपुर विधायक नीलिमा कटियार ने दुखी पिता को सांत्वना दी।

परिजनों ने बताया कि बेटे के हाईस्कूल में 97 प्रतिशत नंबर थे। उसकी बहन मान्या ने भी स्कूल में टॉप किया था। इस घटना की जानकारी होने पर स्कूल में साथ पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के भी पैरों तले जमीन खिसक गई। चर्चा थी कि लड़के ने स्कूल में किसी को इस परेशानी को नहीं बताई। दिन प्रतिदिन घुटता रहा।

सीजोफ्रेनिया में जान देने और दूसरों की जान लेने जैसी आदेशात्मक आवाजें सुनाई पड़ती हैं। मतिभ्रम होने पर वह उन चीजों को देखने की बात करता है जो हैं ही नहीं। ऐसे में रोगी आत्महत्या सरीखा कदम भी उठा सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि मस्तिष्क के न्यूरो केमिकल असंतुलन होने से यह दिक्कत होती है।

डॉ. चौधरी ने बताया कि सीजोफ्रेनिया में मुख्य रूप से रोगी के मस्तिष्क में डोपामीन न्यूरो केमिकल का संतुलन बिगड़ता है। इससे अन्य न्यूरो केमिकल भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे रोगियों के शुरुआती लक्षणों के संबंध में व्यक्ति चुप हो जाता है, दूसरों से कटा रहता है, काम करने में उसका दिल नहीं लगता। इसके साथ ही बुदुबुदाते रहना भी एक लक्षण है।घरवालों को यह लक्षण देखकर सतर्क हो जाना चाहिए। उसे तुरंत किसी मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। मतिभ्रम, भ्रम और अव्यवस्थित बातचीत और व्यवहार इस रोग के खास लक्षण हैं।

अपनी बीमारी को लेकर छात्र तनाव में रहता था। घर में छठ पूजा की तैयारी होने से बहन ने घरवालों से इसका जिक्र नहीं किया। इस बीच माता-पिता छठ पूजा के लिए भागलपुर चले गए। सोमवार की शाम मान्या कोचिंग गई थी। घर में लड़का और उसकी दादी नीलम थे। शाम करीब 4:30 बजे दादी ने नाती को आवाज दी लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार आवाज देने के बाद भी कोई जवाब न आने पर पड़ोसी परमिंदर चंद्रा को बुलाया। क्षेत्रीय लोगों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया तो छात्र का मृत शव देखकर दादी गश खाकर गिर गईं।

न्यूज़ डेस्क

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